बुध्दि का समूह कारक सिध्दांत क्या है और इसके प्रतिपादक कौन थे?।

बुध्दि का समूह कारक सिध्दांतबुद्धि का समूह कारक सिध्दांत थर्स्टन ने 1937 में दिया था।थर्स्टन ने अपने समूह कारक सिध्दांत में बताया कि बुध्दि न तो मुख्य रूप से सामान्य कारक द्वारा प्रभावित होती है और न ही किसी विशिष्ट कारक द्वारा प्रभावित होती है।

उनके अनुसार मानसिक क्रियाओं का एक सामान्य प्राथमिक कारक होता है जो एक प्रकार की मानसिक क्रियाओं को अन्य क्रियाओं से अलग रखता है। 

सभी मानसिक क्रियाएं जिनका कोई न कोई सामान्य प्राथमिक कारक होता है, सभी मिलकर एक समूह का निर्माण करती हैं। इन समूह का प्रतिनिधित्व करने वाले कारको को प्राथमिक कारक कहते हैं। 

थर्स्टन ने इस प्रकार से 7 कारकों का एक समूह तैयार किया जिसके मापन के लिए परीक्षण तैयार किए। 

थर्स्टन ने अपने बुद्धि के समूह कारक सिध्दांत में निम्न 7 प्रकार के प्राथमिक कारक बताए जो किसी न किसी  मानसिक क्रिया को प्रभावित करते हैं ।

ये 7 प्राथमिक मानसिक कारक निम्नलिखित हैं। 

शाब्दिक योग्यता – इसमें शब्द के उपयोग उनका स्पष्टीकरण करना तथा भाषा सम्बन्धी योग्यताएं सम्मिलित हैं जो मानसिक क्रियाओं को प्रभावित करती हैं ।


आंकिक योग्यता  – इस प्रकार की योग्यता में सांख्यिकीय विश्लेषण करना,  अंकन सम्बन्धी क्रियाएं संचालित करना तथा गणित सम्बन्धी समस्याओं की गणना करना आदि आते हैं। 


3- शब्द प्रवाह योग्यता – किसी भी शाब्दिक संचालन को कोई व्यक्ति कितनी तीव्रता से कर सकता है, की मानसिक क्रियाएं इसके अंतर्गत आती हैं। 
स्थानिक योग्यता  – स्थान में वस्तुओं का परिचालन करने की योग्यता। 


5- तर्क योग्यता  – किसी समस्या विशेष के समाधान हेतु,  किसी भी कार्य को करने के लिए तर्क वितर्क करने की क्षमता इस प्रकार के प्राथमिक कारक के कारण उत्पन्न होती है ।


6- स्मृति योग्यता   – किसी भी ज्ञान को धारण करते उसको अधिक समय तक अपने मानसिक पटल पर बनाए रखने की योग्यता इस प्राथमिक कारक के कारण संभव होती है। 


7- प्रत्यक्षीकरण योग्यता – किसी वस्तु, स्थान या व्यक्ति विशेष का प्रत्यक्षीकरण करने की विशेष योग्यता

Youtube Channel Image
Join Our WhatsApp Group सभी महत्वपूर्ण अपडेट व्हाट्सएप पर पायें!