हिंदुस्तान के प्रमुख महापुरुषों के हिंदी भाषा एवम साहित्य पर अनमोल विचार।। Hindustan ke pramukh mahapurshon ke anmol vichar..
✍हिंदुस्तान के प्रमुख महापुरुषों के हिंदी भाषा एवम साहित्य पर अनमोल विचार✍
💐जिस प्रकार बंगाल भाषा के द्वारा बंगाल में एकता का पौधा प्रफुल्लित हुआ है उसी प्रकार हिन्दी भाषा के साधारण भाषा होने से समस्त भारतवासियों में एकता तरु की कलियाँ अवश्य ही खिलेंगी। – शारदाचरण मित्र
💐विदेशी भाषा का अनुकरण न किया जाय। -भीमसेन शर्मा
💐हिन्दी भाषा ही सर्वसाधारण की भाषा होने के उपयुक्त है। – शारदाचरण मित्र
💐जापानियों ने जिस ढंग से विदेशी भाषाएँ सीखकर अपनी मातृभाषा को उन्नति के शिखर पर पहुँचाया है उसी प्रकार हमें भी मातृभाषा का भक्त होना चाहिए। – श्यामसुंदर दास
💐मनुष्य सदा अपनी मातृभाषा में ही विचार करता है। इसलिए अपनी भाषा सीखने में जो सुगमता होती है दूसरी भाषा में हमको वह सुगमता नहीं हो सकती। – डॉ. मुकुन्दस्वरूप वर्मा
💐आप जिस तरह बोलते हैं, बातचीत करते हैं, उसी तरह लिखा भी कीजिए। भाषा बनावटी न होनी चाहिए। – महावीर प्रसाद द्विवेदी
💐भाषा ही राष्ट्र का जीवन है। – पुरुषोत्तमदास टंडन
💐देह प्राण का ज्यों घनिष्ट संबंध अधिकतर। है तिससे भी अधिक देशभाषा का गुरुतर। – माधव शुक्ल
💐हिन्दी जैसी सरल भाषा दूसरी नहीं है। – मौलाना हसरत मोहानी
💐हिन्दी द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है। – स्वामी दयानंद
💐जीवित भाषा बहती नदी है जिसकी धारा नित्य एक ही मार्ग से प्रवाहित नहीं होती। – बाबूराव विष्णु पराड़कर
💐हिन्दी उन सभी गुणों से अलंकृत है जिनके बल पर वह विश्व की साहित्यिक भाषाओं की अगली श्रेणी में सभासीन हो सकती है। – मैथिलीशरण गुप्त
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हिंदुस्तान के प्रमुख महापुरुषों के हिंदी भाषा एवम साहित्य पर अनमोल विचार।। Hindustan ke pramukh mahapurshon ke anmol vichar..