आदर्शवाद एवं शिक्षा
आदर्शवादी दो प्रकार से शिक्षा की आवश्यकता की अनुभूति करते हैं।
वे कहते हैं कि शिक्षा एक आध्यात्मिक आवश्यकता है।
मनुष्य को प्रकृति केवल जीवन प्रदान कर सकती है लेकिन जीवन जीने की कला को मनुष्य केवल शिक्षा के माध्यम से ही सीख सकता है।
मनुष्य विभिन्न जैविक आवश्यकताओं एवं विशेषताओं के साथ जन्म लेता है परन्तु वह इन विशेषताओं को सामाजिक विशेषताओं के अनुकूल ढालने का प्रयत्न करता है।
प्रकृतिवादी कहते हैं कि मनुष्य की प्रकृति दैवीय एवं आध्यात्मिक है।
प्राकृतिक जीवन जी लेना ही मनुष्य को पूर्णता प्रदान नहीं कर सकता है वह केवल मनुष्य जीवन का आधार मात्र होता है। मनुष्य को मनुष्य बनने के लिए सामाजिक होना बहुत जरूरी है।
आदर्शवादी शिक्षा को एक नैतिक प्रक्रिया मानते हैं।
वे कहते हैं कि शिक्षा एक सामाजिक आवश्यकता भी है जो मनुष्य को वैयक्तिक स्वरूप प्रदान करती है।
आदर्शवादियों के अनुसार शिक्षा मनुष्य को समाज में सद् से अवगत कराती है।