सेंगोल क्या है? Sengol kya hai || नए संसद भवन में स्थापित होने वाला सेंगोल आखिर क्या है? क्या है राष्ट्रीय गौरव ‘सेंगोल’ और क्यों हो रही है इसकी इतनी चर्चा…!!
संसद भवन के उद्घाटन समारोह की चर्चा के साथ साथ एक और प्रकरण चर्चा में है वह है सेंगोल की नए संसद भवन में स्थापना।
आजकल जिज्ञासा का विषय बना हुआ है कि आखिकार यह सेंगोल है क्या?
सेंगोल शब्द की उत्पत्ति तमिल शब्द सेम्मई से मानी जाती है। संगोल का शाब्दिक अर्थ है राजदंड
प्राचीन काल में राजदंड एक ऐसा प्रतीक होता था जो कि एक राजा की सत्ता का हस्तांतरण दूसरे राजा के समय नए राजा को प्रदान किया जाता था अर्थात् सेंगोल सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक है।
पुराने दस्तावेजों,फिल्मों एवं कथाओं में इस प्रतीक का उल्लेख मिलता है। नए संसद भवन में स्थापना से पहले इसे प्रयागराज के संग्रहालय में रखा गया था। सेंगोल को न्यायपूर्ण सत्ता का प्रतीक माना जाता है।
अक्सर ऐतिहासिक/धार्मिक सीरियलों और पुरानी फिल्मों में आमतौर पर शासकों के साथ यह दिखाया जाता था।
सेंगोल की लम्बाई लगभग 5 फीट की है और यह मूल रूप में चांदी का बना हुआ है एवं इसके ऊपर सोने की परत का लेपन किया गया है।
14 अगस्त, 1947 को तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस सेंगोल को सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के रुप में अंतिम अंग्रेज शासक वायसराय लार्ड माउंटबेटन से प्राप्त किया था। तभी से यह सेंगोल या राजदंड भारत की विविधता और एक महान राष्ट्र के जन्म की एक प्रमुख धरोहर है।
28 मई 2023 को इसे नए संसद भवन सेंट्रल विस्टा में लोकसभा अध्यक्ष के आसन के समीप स्थापित किया जायेगा। हालांकि नए संसद भवन की स्थापना की प्रक्रिया को लेकर विपक्षी दलों ने विरोध किया है।