80 C के तहत इस प्रकार आप टैक्स बचत कर सकते हैं!!

 

80 C के तहत इस प्रकार आप टैक्स बचत कर सकते हैं!!

इनकम टैक्स (आयकर) बचत के लिहाज से आयकर कानून का सेक्शन 80C बहुत महत्वपूर्ण है. आयकर कानून के सेक्शन 80C में बहुत से ऐसे विकल्प हैं जिसमें निवेश के जरिये आप 1.5 लाख रुपये तक की रकम पर टैक्स बचा सकते हैं.

यह भी सच है कि हर व्यक्ति के लिए निवेश का एक ही सुझाव सही साबित नहीं हो सकता. इस वजह से हर व्यक्ति अपनी परिस्थितियों के अनुसार निवेश के विकल्प चुनता है.

अगर कोई व्यक्ति वेतन या कारोबार से आमदनी के बाद इनकम टैक्स (आयकर) के 30 फीसदी टैक्स स्लैब में आता है तो इनकम टैक्स कानून के सिर्फ सेक्शन 80C में 1.5 लाख रुपये तक के निवेश से वह टैक्स देनदारी के 46,350 रुपये की बचत कर सकता है

आप इनकम टैक्स (Income Tax ) कानून के सेक्शन 80C के तहत आने वाले निवेश विकल्पों में 1.5 लाख रुपये से अधिक का भी निवेश कर सकते हैं. टैक्स बचत के हिसाब से कर लाभ केवल 1.5 लाख रुपये तक ही सीमित होगा.

आमतौर पर इनकम टैक्स (Income Tax Section 80C) कानून के सेक्शन 80C के तहत आने वाले टैक्स बचत के सभी निवेश में लॉक-इन होता है. इसका मतलब यह है कि निवेश करने के बाद कुछ समय तक आप इनसे पैसे नहीं निकाल सकतेआइए, टैक्स (आयकर) बचत के लिए कुछ लोकप्रिय निवेश उत्पादों के बारे में बात करते हैं, जिनमें निवेश करने पर आपको सेक्शन 80C के तहत टैक्स बचत का लाभ मिलता है.

1. पीपीएफ (पब्लिक प्रोविडेंट फंड या PPF)

आप अपने जीवनसाथी या बच्चों के नाम से बैंक या पोस्ट ऑफिस में खोले गए PPF अकाउंट में निवेश कर टैक्स (आयकर) में राहत पा सकते हैं. अगर आप PPF में निवेश माता-पिता या भाई-बहनों के अकाउंट में करते हैं तो आपको टैक्स में कोई लाभ नहीं मिलता.

पीपीएफ (पीपीएफ) अकाउंट जिस वर्ष खुलता है, उसके 15 सालों में वह मैच्योर होता है. इस हिसाब से जो रकम आपने पीपीएफ में पहले साल में निवेश की है, वह 15 साल के लिए लॉक हो जाएगी. इसी तर्ज पर पीपीएफ में दूसरे साल का निवेश 14 साल के लिए लॉक हो जाएगापीपीएफ अकाउंट मैच्योर होने पर पांच साल के ब्लॉक में अकाउंट की अवधि बढ़ाई जा सकती है. यह वास्तव में EEE कैटेगरी का निवेश उत्पाद है.

इसका मतलब यह है कि इसमें निवेश के वक्त टैक्स लाभ, ब्याज पर टैक्स लाभ और मैच्योरिटी पर रकम निकासी पर भी टैक्स छूट मिलती है. इस पर दिए जाने वाले ब्याज के बारे में केंद्रीय वित्त मंत्रालय हर तिमाही में दरें घोषित करता है

2. EPF या VPF (कर्मचारी भविष्य निधि / स्वैच्छिक भविष्य निधि)

अगर आप सैलरी पाने वाले इम्पलॉई हैं, तो निवेश के इस विकल्प (PF) में आप पहले से ही निवेश कर रहे हैं. हर महीने आपको मिलने वाले वेतन से पहले ही आपके EPF अकाउंट में रकम जमा हो जाती है. इसे आपके वेतन से काटकर इसमें जमा कराया जाता है.

अगर आप अपनी सैलरी स्लिप की जांच करें तो आपको पता लग जाएगा कि आप हर महीने ईपीएफ (EPF) में कितना निवेश कर रहे हैंअगर आप इनकम टैक्स (Income Tax) कानून के सेक्शन 80C का पूरा लाभ उठाना चाहते हैं तो 1.5 लाख रुपये की निवेश सीमा पाने के लिए आपको केवल बची हुई राशि ही टैक्स छूट के विकल्पों में निवेश करनी है.

यहां ध्यान रखने वाली बात यह भी है कि EPF में केवल आपका योगदान ही सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट के योग्य है. आपके नियोक्ता द्वारा आपके EPF अकाउंट में किए गए योगदान पर टैक्स (Income Tax) लाभ नहीं मिलताआप अगर चाहें तो अपने अनिवार्य EPF योगदान से अधिक रकम का योगदान भी कर सकते हैं.

यह योगदान स्वैच्छिक प्रोविडेंट फंड (वीपीएफ यानी VPF) में किया जा सकता है। आप इस पर भी इनकम टैक्स (Income Tax) कानून के सेक्शन 80C के तहत टैक्स बचत का लाभ उठा सकते हैं.

3. इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS)

ELSS वास्तव में तीन साल की लॉक इन अवधि वाले इक्विटी म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) होते हैं. ELSS में निवेश करने पर आप तीन साल के अंदर इस रकम को निकाल नहीं सकते. बहुत से लोग ELSS को टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) के नाम से भी जानते हैं.

अगर आप SIP के जरिये ELSS में निवेश कर रहे हैं तो हर SIP की किस्त तीन साल की अवधि के लिए लॉक हो जाएगी. यदि सिप की पहली किस्त 15 अप्रैल 2018 को गई है तो इससे खरीदी गई MF यूनिट 15 अप्रैल 2021 तक नहीं बेची जा सकती.

एक लाख से कम लाभ पर कोई टैक्स देय नही है लेकिन एक लाख से ऊपर प्रॉफिट होने पर 10% LTCG देय होता है।

सिप की दूसरी किस्त (15 मई 2018) से खरीदी गर्इ यूनिट आप 15 मई 2021 तक नहीं बेच सकतेELSS यूनिट में तीन साल का लॉक इन होता है. इसलिए यूनिट बेचने पर होने वाले फायदे पर आपको टैक्स (Income Tax) नहीं देना पड़ता

.4. टर्म लाइफ इंश्योरेंस (Term plan)

टर्म लाइफ इंश्योरेंस प्लान के लिए चुकाए गए प्रीमियम की रकम पर आप इनकम टैक्स (Income Tax) कानून के सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट का लाभ उठा सकते हैं.

टर्म प्लान वास्तव में बहुत मामूली प्रीमियम पर काफी अधिक जीवन बीमा कवर खरीदने का मौका देता है. किसी टर्म प्लान में 30 साल के एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए एक करोड़ रुपये का कवर सालाना 7,000-10,000 रुपये के प्रीमियम पर मिल सकता है.

सेक्शन 80C के तहत टैक्स लाभ लेने के लिए आपको हर साल नया प्लान लेने की जरूरत नहीं है. एक पॉलिसी में सालाना आपका रिन्यूअल प्रीमियम भी सेक्शन 80C के तहत कर छूट पाने के योग्य

 

5. यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIP)

यूलिप जीवन बीमा योजना और निवेश का एक मिला-जुला रूप है. इसके लिए चुकाए जाने वाले प्रीमियम में एक हिस्सा जीवन बीमा कवर के लिए, जबकि बचा हुआ हिस्सा रिटर्न के लिए किसी फंड में निवेश कर दिया जाता है.

यूलिप में चुकाए गए प्रीमियम की पूरी रकम पर इनकम टैक्स (Income Tax) कानून के सेक्शन 80C के तहत टैक्स बेनिफिट मिलता हैआम तौर पर यूलिप प्लान में पांच साल का लॉक-इन होता है.

इसका मतलब है कि आप यूलिप प्लान खरीदने की तारीख से पांच साल की अवधि तक इससे पैसे नहीं निकाल सकते. इस हिसाब से आपका पहला सालाना प्रीमियम 5 साल के लिए लॉक हो जाएगा. इसी तर्ज पर दूसरा प्रीमियम 4 साल के लिए लॉक हो जाएगा.

इसके साथ ही यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि इनकम टैक्स कानून 1961 के सेक्शन 80C के अनुसार, अगर आप लगातार 5 साल तक प्रीमियम का भुगतान नहीं करते तो टैक्स (Income Tax) लाभ वापस ले लिया जाएगा

6. पारंपरिक जीवन बीमा/मनी बैक योजना

आप जीवन बीमा या मनी बैक प्लान में चुकाए गए प्रीमियम पर भी सेक्शन 80C के तहत टैक्स (Income Tax) लाभ पा सकते हैं. इसमें भी एक शर्त यह है कि अगर आप कम से कम दो साल के लिए प्रीमियम का भुगतान नहीं करते तो टैक्स (Income Tax) बचत का लाभ वापस ले लिया जाएगा.

जीवन बीमा (यूलिप और ट्रेडिशनल प्लान) पॉलिसी के बारे में एक बात का ध्यान रखना जरूरी है कि आपका सालाना प्रीमियम बीमित रकम (सम एस्योर्ड ) के 10 फीसदी से अधिक नहीं हो. इनकम टैक्स (Income Tax) में लाभ पाने के लिए यह शर्त पूरी करना जरूरी है. यह नियम अप्रैल 2012 के बाद खरीदी गई पॉलिसी पर लागू स्वयं, पति या पत्नी और बच्चों के लिए जीवन बीमा प्रीमियम के भुगतान पर ही सेक्शन 80C के तहत टैक्स में राहत मिल सकती है. माता-पिता और भाई-बहनों के जीवन बीमा के लिए प्रीमियम का भुगतान पर कोई टैक्स (Income Tax) बेनिफिट नहीं है

.7. पांच साल के बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट

निवेश के इस विकल्प को आम तौर पर टैक्स (Income Tax) सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट के रूप में जाना जाता है. इस फिक्स्ड डिपॉजिट की अवधि 5 साल की होती है. इसका मतलब यह है कि इस तरह के फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश को आप पांच साल से पहले भुना नहीं सकते. इस पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स (Income Tax) चुकाना होता है

8. डाक घर में पांच साल की जमा

सेक्शन 80C के तहत टैक्स (Income Tax) बचत वाला यह उत्पाद बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट की तरह ही है. यदि आप निवेश करने के 5 साल के अंदर इसे भुनाते हैं तो इस पर मिला कर (Income Tax) लाभ वापस ले लिया जाएगा. इस तरह के डिपॉजिट के लिए ब्याज दर वित्त मंत्रालय द्वारा हर तिमाही तय की जाती है.

ध्यान रखने वाली बात यह है कि डिपॉजिट करते समय जो ब्याज दर तय है, आपके निवेश पर पूरे पांच साल तक वही मिलती है. बीच में बदलने वाली ब्याज दरों का आपके निवेश पर कोई असर नहीं पड़ता. अभी यह दर 7.4 फीसदी है

9. राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र (NSC)

टैक्स (Income Tax) बचत के लिए यह काफी समय से लोगों का पसंदीदा निवेश विकल्प है. इसकी परिपक्वता अवधि 6 साल की है. सेक्शन 80C के तहत टैक्स बचत वाले इस निवेश विकल्प में समय से पहले कोई भुगतान संभव नहीं है.

इसमें मिलने वाले ब्याज पर भी आपको टैक्स (Income Tax) चुकाना पड़ता है. हालांकि, शुरुआती सालों में कमाए गए ब्याज को एनएससी में निवेश समझा जाता है और वह सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट के लिए पात्र हैइस हिसाब से सिर्फ आखिरी साल में मिला ब्याज ही टैक्स (Income Tax) देनदारी के लायक माना जाएगा.

वित्त मंत्रालय हर तिमाही में इसके लिए ब्याज दर की घोषणा करता है. इस समय NSC पर ब्याज दर 7.6 फीसदी सालाना है

10. वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (SCSS)

केवल सीनियर सिटीजन ही इस योजना में निवेश कर सकते हैं. इसकी मैच्योरिटी की अवधि पांच साल है. सेक्शन 80C के तहत टैक्स (Income Tax) बचत के इस विकल्प में भी रकम की आंशिक निकासी की अनुमति नहीं है

हालांकि,आप कुछ जुर्माना देकर अकाउंट को पांच साल से पहले बंद कर सकते हैं. SCSS में निवेश को समय से पहले बंद करने पर आपको मिले सभी टैक्स (Income Tax) बेनिफिट वापस ले लिए जाएंगे. इस पर ब्याज दरों की घोषणा भी वित्त मंत्रालय द्वारा हर तिमाही की जाती है.

11. होम लोन के मूलधन पर टैक्स छूट

अगर आपने होम लोन लिया है, तो उस लोन के मूलधन का भुगतान भी इनकम टैक्स (Income Tax) कानून के सेक्शन 80C के तहत टैक्स लाभ के योग्य है.

यहां एक शर्त यह है कि आप निर्माणाधीन प्रॉपर्टी (अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी ) के लिए मूलधन के भुगतान पर सेक्शन 80C के तहत टैक्स (Income Tax) लाभ नहीं ले सकते. घर का निर्माण कार्य पूर्ण या रेडी टू मूव प्रॉपर्टी खरीदने के मामले में ही आप इस कटौती का लाभ उठा सकते हैं.

इस प्रावधान में घर खरीदने के लिए चुकाई गई स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज के लिए भी टैक्स छूट का लाभ लिया जा सकता है. हालांकि, इस तरह के शुल्क के भुगतान पर कर लाभ केवल उसी साल लिया जा सकता है जब आप भुगतान करते हैंजिस साल आपको घर का कब्जा मिलता है, उस वित्त वर्ष के अगर आप पांच साल के अंदर घर बेच देते हैं, तो आपको मिले टैक्स (Income Tax) बेनिफिट वापस ले लिए जायेंगे

.12. दो बच्चों की ट्यूशन फीस पर राहत

आप दो बच्चों के लिए स्कूल/कॉलेज की ट्यूशन फीस पर भी सेक्शन 80C के तहत टैक्स (Income Tax) बेनिफिट ले सकते हैं. यदि आपके दो से अधिक बच्चे हैं, तो आप किसी भी दो बच्चे के लिए यह दावा कर सकते हैं.

इसके लिए शर्त यह है कि भारत में स्थित विश्वविद्यालय, कॉलेज, स्कूल या अन्य शैक्षणिक संस्थान को फीस का भुगतान किया जाना चाहिए.

टैक्स में राहत केवल पूर्णकालिक शिक्षा (फुल टाइम एजुकेशन) के लिए ही उपलब्ध है. टैक्स राहत के दायरे में निजी ट्यूशन, कोचिंग क्लास या कोई पार्ट टाइम कोर्स नहीं आता. अपनी शिक्षा या जीवनसाथी की शिक्षा के लिए पढ़ाई पर किया गया खर्च भी टैक्स बेनिफिट के दायरे में नहीं आ

13. सुकन्या समृद्धि योजना (SSY)

केंद्र सरकार की बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना के तहत लांच की गई यह स्कीम गर्ल चाइल्ड के लिहाज से बेहतरीन विकल्प है. अगर आपकी बेटी की उम्र 10 साल से कम है तो आप अपनी बेटी के लिए SSY खाता खोल सकते हैं.

SSY अकाउंट आपकी बेटी के 21साल का होने पर मैच्योर होगा. आप बेटी की शादी या पढ़ाई के लिए SSY अकाउंट से पैसे निकाल सकते हैं.

यह वास्तव में EEE कैटेगरी का निवेश उत्पाद है. इसका मतलब यह है कि इसमें निवेश के वक्त टैक्स लाभ, ब्याज पर टैक्स लाभ और मैच्योरिटी पर रकम निकासी पर भी टैक्स (Income Tax) छूट मिलती है. ब्याज दर की घोषणा हर तिमाही पर की जाती

14. बीमा कंपनी की पेंशन योजना (सेक्शन 80CCC)

अगर आप बीमा कंपनियों के पेंशन प्लान में निवेश करते हैं तो आप इस रकम में से 1.5 लाख रुपये पर टैक्स (Income Tax) लाभ ले सकते हैं. यदि आप मैच्योरिटी से पहले पेंशन योजना को सरेंडर कर देते हैं, तो उससे मिलने वाली रकम को उस साल की आमदनी माना जाएगा और आपको उस पर टैक्स (Income Tax) चुकाना होगा

यह ध्यान रखें कि सेक्शन 80C और 80 CCC के तहत कुल मिलाकर टैक्स (Income Tax) बेनिफिट के लिए कुल रकम 1.5 लाख रुपये से अधिक नहीं हो सकती.

15. राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS)/अटल पेंशन योजना (APY) (सेक्शन 80 CCD)

निवेश का यह विकल्प थोड़ा जटिल है. अगर आप सेक्शन 80CCD(1) के तहत NPS में सालाना 1.5 लाख रुपये तक का निवेश करते हैं तो यह सेक्शन 80C के तहत मिलने वाले लाभ में शामिल है.

अगर आप NPS में सेक्शन 80CCD(1B) के तहत सालाना 50,000 रुपये तक का निवेश करते हैं तो यह इनकम टैक्स (Income Tax) कानून के सेक्शन 80C से अलग है. अटल पेंशन योजना (APY) में निवेश करने पर भी आपको यही टैक्स (Income Tax) लाभ मिलेगा..है।

Original Post src– https://hindi.economictimes.com/wealth/tax/do-you-know-about-these-15-investment-options-under-sec-80c/articleshow/64537055.cms

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