संवेग-संरक्षण का नियम क्या है||samveg sarakshan ka niyam kya hai|| what is law of conservation of momentum
संवेग संरक्षण का नियम इस नियम के अनुसार “एक या एक से अधिक वस्तुओं के निकाय ( system ) पर कोई बाहरी बल नहीं लग रहा हो , तो उस निकाय का कुल संवेग नियत रहता है , अर्थात् संरक्षित रहता है। ” इस कथन को ही संवेग संरक्षण का नियम कहते हैं । अर्थात् एक वस्तु में जितना संवेग परिवर्तन होता है , दूसरी में उतना ही संवेग परिवर्तन विपरीत दिशा में हो जाता है । अतः जब कोई वस्तु पृथ्वी की ओर गिरती है , तो उसका वेग बढ़ता जाता है , जिससे उसका संवेग भी बढ़ता जाता है । वस्तु भी पृथ्वी को ऊपर की ओर खींचती है , जिससे पृथ्वी का भी ऊपर की ओर संवेग उसी दर से बढ़ता जाता है । इस प्रकार ( पृथ्वी वस्तु ) का संवेग संरक्षित रहता है । चूँकि पृथ्वी का द्रव्यमान वस्तु की अपेक्षा बहुत अधिक होता है , अतः पृथ्वी में उत्पन्न वेग उपेक्षणीय होती है । रॉकेट के ऊपर जाने का सिद्धान्त भी संवेग संरक्षण पर आधारित है । रॉकेट से गैसे अत्यधिक वेग से पीछे की ओर निकलती हैं , जो रॉकेट के ऊपर उठने के लिए आवश्यक संवेग प्रदान करती हैं ।
उदाहरण 1 :- जब बराबर संवेग वाली दो गेंदें आपस में टक्कर मारती हैं । तो गेंदें अचानक रुक जाती हैं । यहाँ निकाय ( दोनों गेदों ) का कुल संवेग ( total momentum ) टक्कर ( collision ) के पूर्व शून्य है और टक्कर के बाद फिर से शून्य हो जाती है अर्थात् निकाय का कुल संवेग नियत है या संरक्षित है ।
संवेग-संरक्षण का नियम क्या है||samveg sarakshan ka niyam kya hai|| what is law of conservation of momentum