अधिगम वक्र
अधिगम का सामान्य अर्थ है सीखना
अधिगम या सीखना
“नवीन ज्ञान व नवीन प्रतिक्रियाओं को प्राप्त करने की प्रक्रिया है” वुडवर्थ के अनुसार
प्रश्न -अधिगम वक्र क्या है और यह कितने प्रकार का होता है?
उत्तर- अधिगम की गतिक प्रक्रिया को एक निश्चित पैटर्न के रूप में व्यवस्थित किया जा सकता है
अधिगम प्रक्रिया को निश्चित पैटर्न के रूप में व्यवस्थित करने को अधिगम वक्र कहते हैं
इसमें अधिगम की न्यूनता या अधिकता या शून्य स्थिति व्यक्त की जाती है।
अधिगम वक्र चार प्रकार का होता है।
सरल रेखीय वक्र
सरल रेखीय वक्र में अधिगम की गति एक समान होती है अतः इस प्रकार के अधिगम को सरल रेखीय वक्र द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
उन्नतोदर वक्र
इस प्रकार के वक्र में सीखने की गति शुरूआत में तीव्र होती है और उच्चतम बिंदु पर पहुंचने के पश्चात सीखने की गति मंद होना शुरू हो जाती है इस प्रकार के वक्र को उन्नतोदर वक्र कहते हैं।
उन्नतोदर वक्र
नतोदर अधिगम वक्र
इस प्रकार के अधिगम वक्र के आरंभ में सीखने की गति मंद हो जाती है उसके पश्चात धीरे-धीरे सीखने की गति तीव्र होना शुरू होती है और वह उच्चतम स्तर की ओर बढ़ती है सीखने के इस प्रकार के वक्र को नतोदर वक्र कहते हैं।
नतोदर वक्र
इस प्रकार के मिश्रित अधिगम वक्र में उन्नतोदर व नतोदर दोनों प्रकार के अधिगम वक्र तरह अधिगम होता है अर्थात् इस प्रकार के अधिगम वक्र में शुरूआत में अधिगम की गति तीव्र या मंद और अंत में भी अधिगम की गति मंद या तीव्र दोनों तरह से हो सकती है।
इस प्रकार का अधिगम वक्र मिश्रित वक्र कहलाता है।
यह वक्र उन्नतोदर व नतोदर अधिगम वक्र का मिला जुला रूप है। मिश्रित वक्र
अधिगम का पठार क्या है और यह क्यों बनता है?
अधिगम का पठार
जब सीखने की गति रुक जाती है
अर्थात् उसमें न उन्नति होती है न अवनति तो इस प्रक्रिया को अधिगम का पठार कहा जाता है
अधिगम का पठार में अधिगम की गति शून्य होती है।
अधिगम का पठार सामान्यतया प्रयोज्य की थकान या सीखने में रूचि नहीं होने के कारण बनता है।