आगमन निगमन शिक्षण विधि क्या हैंWhat do you understand by teaching method??आगमन निगमन विधि agman|nigman vidhi|आगमन विधि निगमनात्मक विधि|सामान्य से विशिष्ट की ओर आगमन विधि कक्षा शिक्षण की महत्वपूर्ण विधि है। इस विधि में विषयवस्तु के प्रस्तुतीकरण के दौरान सबसे पहले उदाहरण दिए जाते हैं तत्पश्चात सामान्य सिध्दांत का प्रस्तुतीकरण किया जाता है।आगमन विधि की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं1- उदाहरण से नियम की ओर2- स्थूल से सूक्ष्म की ओर3- विशिष्ट से सामान्य की ओर4- ज्ञात से अज्ञात की ओर5- मूर्त से अमूर्त की ओर6- प्रत्यक्ष से प्रमाण की ओरआगमन विधि को प्राय: थकान वाली शिक्षण विधि माना जाता है क्योंकि इसमें शिक्षण प्रक्रिया काफी लम्बी होती है। आगमन विधि अरस्तू ने दी थी।
निगमन विधिकक्षा शिक्षण में निगमन विधि का महत्वपूर्ण स्थान है यह विधि विज्ञान व गणित शिक्षण के लिए अत्यंत उपयोगी है।निगमन विधि के प्रतिपादक अरस्तू हैं।निगमन विधि की शिक्षण के दौरान प्रस्तुत विषयवस्तु प्रमुख विशेषताएं निम्न प्रकार हैं1- सूक्ष्म से स्थूल की ओर2- सामान्य से विशिष्ट की ओर3- अज्ञात से ज्ञात की ओर4- प्रमाण से प्रत्यक्ष की ओर5- अमूर्त से मूर्त की ओरशिक्षण की निगमन विधि में शिक्षण प्रक्रिया सामान्य से विशिष्ट की ओर उन्मुख होती है॥ इस विधि में पाठ्यचर्या का क्रम सूक्ष्म से स्थूल की ओर होता है। विषयवस्तु के प्रस्तुतीकरण का क्रम अमूर्त से मूर्त की तरफ होता है। कक्षा शिक्षण प्रमाण से प्रत्यक्ष की ओर होता है एवं विषयवस्तु की प्रकृति अज्ञात से ज्ञात की ओर होती है।निगमन विधि को विज्ञान व गणित शिक्षण के लिए उपयोगी माना जाता है लेकिन कुछ विद्वान मानते हैं इस शिक्षण की इस विधि में विद्यार्थी रटने की प्रवृत्ति को ओर बढने लगते हैं जो शिक्षण अधिगम की गति को धीमी करता है।आगमन निगमन विधि के जनक/प्रतिपादक अरस्तू हैं।
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